भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 139
(भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए बालक का व्यपहरण या विकलांगीकरण)
(1) जो कोई किसी बालक का इसलिए व्यपहरण करेगा या बालक का विधिपूर्ण संरक्षक स्वयं न होते हुए बालक की अभिरक्षा इसलिए अभिप्राप्त करेगा कि ऐसा बालक भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए, कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(2) जो कोई किसी बालक को विकलांग इसलिए करेगा कि ऐसा बालक भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए, वह कारावास से जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवन काल कारावास अभिप्रेत है, तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, दण्डित किया जाएगा।
(3) जहां कि कोई व्यक्ति, जो बालक का विधिपूर्ण संरक्षक नहीं है, उस बालक को भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त करेगा, वहां जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि उसने इस उद्देश्य से उस बालक का व्यपहरण किया था या अन्यथा उसकी अभिरक्षा अभिप्राप्त की थी कि वह बालक भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए।
(4) इस धारा में "भीख मांगने" से निम्नलिखित अभिप्रेत है-
(i) लोक स्थान में भीख की याचना या प्राप्ति चाहे गाने, नाचने, भाग्य बताने, करतब दिखाने या चीजें बेचने के बहाने अथवा अन्यथा करना;
(ii) भीख की याचना या प्राप्ति करने के प्रयोजन से किसी निजी परिसर में प्रवेश करना;
(iii) भीख अभिप्राप्त या उद्दापित करने के उद्देश्य से अपना या किसी अन्य व्यक्ति का या जीव-जन्तु का कोई व्रण, घाव, क्षति, विरूपता या रोग अभिदर्शित या प्रदर्शित करना;
(iv) भीख की याचना या प्राप्ति के प्रयोजन से बालक का प्रदर्शित के रूप में प्रयोग करना।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1) सजा:- कठोर कारावास, जो 10 वर्ष से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास के लिए हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.
उपधारा (2) सजा:- कारावास, जो 20 वर्ष से कम का नहीं होगा, जो उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवन तक हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.